किसी भी फ़िल्म में नायक के व्यक्तित्व को उभारने में खलनायक की भूमिका का बड़ा हाथ होता है। जितना बड़ा..ताकतवर खलनायक होगा, उतनी ही उसे हराने पर..पीटने पर..नायक के लिए तालियाँ बजती हैं। खलनायक की शातिर चालों पर जब नायक नहले पे दहला मारते हुए उसे पटखनी देता है तो नायक का नाम ऊँचा और बड़ा होता जाता है। खलनायक की महत्ता दर्शाने के लिए एक चली आ रही रवायत के अनुसार फ़िल्म के शुरू में नंबरिंग दिखाते वक्त खलनायक के नाम को अलग से महत्त्व देते हुए दर्शाया जाता है जैसे कि..and Pran (और 'प्राण') या and Amrish Puri