सुधीर की इस अप्रत्याशित हरकत से रजनी हड़बड़ाकर पीछे सरक गई और फिर स्थिति का भान होते ही अपने कदमों में झुके हुए सुधीर को दोनों कंधों से पकड़कर उसे सांत्वना देने का प्रयास करने लगी।"मुझे माफ़ कर दो बहना ! मैं भटक गया था। बिरजू की बहन बसंती हमारी सगी बहन से भी बढ़कर थी। कुएं से निकालने के बाद उसकी अवस्था देखकर समस्त शहरी लड़कों और लड़कियों से घृणा सी हो गई थी। उन शहरी दरिंदों ने बड़ी बुरी तरह उसे नोंचा खसोटा था। सिर्फ़ सोलह साल की वह मासूम कितना रोई होगी, तड़पी होगी, गिड़गिड़ाई होगी उन