देखी जमाने की यारी

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भरभराते हुए इमरती बुआ(नाम पर मत जाइए बिल्कुल भी चासनी जैसी मीठी नहीं है,जहर का प्याला है.. ज़हर का प्याला), दरवाजे से भीतर घुसी और घुसते ही बोल पड़ी__ "ई का हुई गवा लल्ला, कौन ठोक के चला गया तुमको, पुलिस कुछ पता लगा पाई कि ऐसई हाथ पे हाथ धरे बैठी है।। नहीं बुआ,अभी तक कुछ पता नहीं चला, मैं जैसे ही अपना दर्द बयां करने वाला था कि इमरती बुआ बीच में ही मेरे दर्द को साइड में रखते हुए बोल पड़ी__ "ऊ सब तो ठीक है लल्ला"!! पहिले इ बताओ पांच सौ का छुट्टा हैं,बाहर ऑटो वाला