सहारा

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लघुकथा ( सहारा )--------------------------------किशोर ने दफ़्तर से आते ही ब्रिफकेश सोफे पर रखा, हाथ मुँह धोयें इतनी देर में पल्लवी उसके लिए चाय बना लायी ।किशोर ---- सच तुम्हारे हाथों की चाय पिकर दिनभर की सारी थकान दूर हो जाती है ।पल्लवी इस पर मुस्करा दी ।किशोर ---- दफ़्तर में इतना काम होता है ऊपर से बाॅस सर पर ही मंड़राते हैं ।मजाल है कोई दो घड़ी साँस ले ले ।उनका बस चले तो लंच ब्रेक पर भी बैंन लगा दे ।पल्लवी इस बात पर खिलखिला पड़ी , फिर कुछ सोचकर बोली --- क्या तुमने छुट्टी के लिए कहा बाॅस