"जी !" अमर ने पूरे आत्मविश्वास से जवाब दिया। दरवाजा खोलकर उसे कार के अंदर आने का ईशारा करते हुए जमनादास जी ने अटैची उसकी तरफ बढ़ाया। अमर अभी भी असमंजस में बाहर ही खड़ा था। सेठ जमनादास ने एक तरह से अटैची बाहर खड़े अमर के हाथों में जबरदस्ती थमा दिया। सवालिया नजरों से जमनादास जी की तरफ देखते हुए अमर ने अनजाने ही वह अटैची थाम लिया और यही वो पल था जब किसी कैमरे के फ्लैश चमके। जमनादास जी के हाथों से अटैची थामते हुए अमर की तस्वीर किसी कैमरे में कैद हो गई थी, लेकिन यह