सोच की ऊँचाइयाँ...

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अम्बर ने अपने घर पर फोन किया.... उधर से उसकी पत्नी सुप्रिया ने फोन उठाकर हैलों बोला और पूछा... जी कहिए.... हाँ,सुप्रिया ! मैने इसलिए फोन किया था कि आज शाम कुछ जरूरी मीटिंग है और मीटिंग होटल ओबराय में है,इसलिए आज रात मेरा डिनर वहीं होगा,तुम मेरा इन्तजार मत करना ,बच्चों को खाना खिलाकर और खुद खाकर सो जाना,हो सकता है कि मुझे देर हो जाए,अम्बर ने सुप्रिया से कहा... जी! अच्छा! ठीक है,सुप्रिया बोला।। ठीक है तो मैं फोन रखता हूँ,बाय! इतना कहकर अम्बर ने फोन काटा और मीटिंग में शामिल होने चला गया... मीटिंग हुई ,डील भी