जुदाई

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घर का काम पूरा हो चला था। कुछ ही दिनों बाद उन्हें दूसरी मंजिल पर सामान जमा कर रखना था। रूमाना को रह रहकर ख्याल आ रहा था कि आज के दिन अम्मी अगर जिंदा होती तो कितना बेहतर होता। रूमाना के घर में दूसरी मंजिल पर निर्माण कार्य चल रहा था। अम्मी यानी उसकी सास जो कि बहुत ही हरदिल अज़ीज खातून थीं। एक सरकारी स्कूल में अध्यापिका थीं। बहुत चाव के साथ अपनी बहू को ब्याह कर लाई थीं। उनके सामने ही उनकी पोती सना पैदा हुई। अब क्या था सुबह स्कूल जाने से पहले पोती के साथ