स्कूल के दिन

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चलो एक अपनी बात बताती हूं कत में अपनी वो ही पुरानी स्कूल गई थी बोहोत से कहानियों के बिच एक किस्सा याद आ गया नौवीं कक्षा का। में लिखती हूँ । आज २०२२ में आप सब को पता है पर में २०१२ में भी थी ये कोई नहीं तब में गाने लिखती थि इंटरनेट का दौर था नहीं तो में तब रेडियो सुना करती थी और गानों के सब्द कॉपी में उतार दिया करती थी तब लिरिक्स के साथ वीडियो नहीं बनते थे में रेडियो में गाने की तेजी के साथ कलम चलाके गाने किताब में लिख देती और