मुंबई मोर्निंग्स- पूनम ए चावला (अनुवाद- आनंद कृष्ण)

  • 5k
  • 2.3k

ऊपरी तौर पर मानव बेशक़ खुद को जितना भी प्रगतिशील.. सभ्य समझता..मानता एवं दर्शाता रहे लेकिन अगर ध्यान से देखा.. सोचा एवं समझा जाए तो हम इन्सानों और जानवरों में दिमाग़ के अलावा रत्ती भर भी फ़र्क नहीं है। एक समान प्रजनन क्रिया के ज़रिए वे भी जन्म लेते हैं और हम भी। वे अपनी भाषा में और हम भी अपनी भाषा में एक दूसरे से बोलते बतियाते हैं। वे सब भी हमारी ही तरह अपनी अपनी भाषा में एक दूसरे का हालचाल लेते होंगे। ऐसे ही ईर्ष्या.. द्वेष..स्नेह और ममता जैसी भावनाएँ भी हम में और उनमें भी एक