ग्यारह अमावस - 54

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(54)गुरुनूर के बारे में सुनकर दीपांकर दास सर झुकाए बैठा था। उसका कहना था कि उसने गुरुनूर को नहीं मारा। उसे तो यह भी नहीं पता था कि उसका अपहरण हुआ था। सब इंस्पेक्टर आकाश दुबे ध्यान से उसके हाव भाव को देख रहा था। दीपांकर दास बहुत ही परेशान था। एक विभ्रम की स्थिति में था। उसकी यह स्थिति सब इंस्पेक्टर आकाश दुबे को परेशान कर रही थी। दीपांकर दास का बार बार हर चीज़ से इंकार करना उसे खिझा रहा था। उसने गुस्से से कहा,"मुझे तो लगता है कि तुम इस तरह की हरकत करके गुमराह करने की