मातृभारती प्रयोगशाला....

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आधी रात का समय करीब बारह बजे होगें,मैं कहीं किसी सड़क पर चली जा रहीं थीं, कहाँ ?ये मुझे खुद नहीं पता था,तभी पीछे से किसी शख्स की लालटेन की रौशनी ने मुझे डरा दिया और वो गाना गाते हुए चला आ रहा था,गाना कुछ इस प्रकार था.... चट्ट देनीं मार देनीं खीच के तमाचा, ही-ही हँस देहिल रिंकिया के पापा, मैने उनसे पूछा.... सर! आप कौन हैं और इस वक्त कहाँ जा रहे हैं? वें बोले... आप हमें नहीं ना जानती हैं,हमें तो ससुरा सबहीं जानते हैं,हमरा नाम आलू प्रसाद माधव है और इससे ज्यादा कुछु मत पूछिएगा,काहें से