उजाले की ओर --संस्मरण

  • 4.7k
  • 2
  • 2.1k

उजाले की ओर ---संस्मरण ----------------------- नमस्कार स्नेही मित्रो बहुत सी चीज़ें होती हैं रसभरी यानि रस से भरी और बहुत सी बातें भी तो होती हैं ऐसी रस से भरी जो भूले नहीं भूलतीं और यदि इन दोनों का समिश्रण हो जाए तो क्या ही कहने ! वैसे भी बामन कुल में जन्म लेकर रसभरी की आदत से सराबोर हम जैसे लोग किसी भी उम्र में इस रसभरी को ढूँढने के लिए ऐसे लपकते हैं कि क्या बताएँ और जब नहीं मिलती तो ऐसे बौखला उठते हैं जैसे मृग अपनी क्स्तूरी को तलाशता हुआ इधर-उधर लपकता है और जब कस्तूरी