अंतिम सफर - 4

  • 3.4k
  • 1.7k

मैं रात के समय सोने की कोशिश कर रहा था कमरे की जलती लाइट के साथ मुझे अब नींद नहीं आ रही थी मेरा ध्यान छत की तरफ ही था और मैं फिर से उस पहाड़ी पर हुए घटनाक्रम के बारे में सोचने लगा था। क्या था वहां ,कुछ तो था ,और उस समय से ही मुझे हर चीज अजीब सी महसूस हो रही हैंज़ मैं खुद को स्थिर नहीं कर पा रहा हुँ। मैं घर की छत पर बिना पलक झपकाए देख रहा था और तभी मुझे महसूस होने लगा जैसे मेरी छत का किस्सा गायब होने लगा हो,,,