मॉटरनी का बुद्धु - (भाग-6)

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मॉटरनी का बुद्धु...(भाग-6)स्कूल से आ कर भूपेंद्र जी का अभी भी वही रूटीन है जो शुरू से ही था। फ्रेश हो कर संध्या और वो लेट कर पूरे दिन की बातें कर लेते थे। संध्या कुछ भी होने से पहले उनकी सबसे अच्छी दोस्त थी। संध्या पर अपना हाथ रख कुछ देर लेटे रहे। फिर ठीक 5:30 बजे बाहर आ कर हॉल में बैठ गए। संभव की नौकरी दिल्ली NCR में लगी थी तो उसके जाने की तैयारी भी करनी है, सोच कर उन्होंने दिल्ली में अपने ससुराल में फोन किया।" पापा संभव की जॉब लगी है HCL में वो