शिखर चंद जैन, कोलकत्ता गुजरात की जानीमानी पत्रकार नीलम कुलश्रेष्ठ का यह व्यंग्य संग्रह अपने नाम के मुताबिक ही महिलाओं की गप्प गोष्ठी से निकली बातों को आधार बना कर लिखा गया है। किसी भी व्यक्ति के किसी खास अंदाज़, उसकी बातों और हावभाव और परस्पर गॉसिप को लेकर हास्य व्यंग्य रचने की पुरानी परंपरा है। भले ही नीलम जी ऐसा करने में अपराधबोध महसूस कर रही हों, लेकिन व्यंग्य का आधार ही विसंगतियां, अटपटे अंदाज़ और चटपटी बातें होती हैं। पुस्तक में कुल 11 व्यंग्य हैं जो गृहिणियों की ज़िंदगी, समाज व दूसरी महिलाओं के प्रति उनकी राय व