बचपन में एक समय ऐसा भी था जब मैं फंतासी चरित्रों एवं राजा महाराजाओं की काल्पनिक कहानियों से लैस बॉलीवुडीय फिल्मों का दीवाना हुआ करता था। कुछ बड़ा हुआ तो दिमाग़ ने तार्किक ढंग से सोचना प्रारम्भ किया और मुझे तथ्यों पर आधारित ऐतिहासिक चरित्रों एवं पौराणिक घटनाओं से प्रेरित फिल्में.. किताबें और कहानियाँ रुचिकर लगने लगी। उसके बाद तो इस तरह की जितनी भी सामग्री जहाँ कहीं से भी..जिस किसी भी रूप में उपलब्ध हुई..अपनी तरफ़ से मैंने उसे पढ़ने का पूरा पूरा प्रयास किया।समय के साथ साथ एक ही विषय पर अलग अलग लेखकों के लेखकीय नज़रिए से लिखी