नैनं छिन्दति शस्त्राणि - 72 - अंतिम भाग

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72 कितने वर्षों के पश्चात वह अपनी मातृभूमि की रज छूने जा रही थी, समिधा का मन लरजने लगा |  बीबी के घर तक पहुँचने तक वह खोई रही स्मृतियों में | पवन उड़ती रही जाने कहाँ –कहाँ ?वह गलियारों में आँख-मिचौनी खेलती रही किन्नी के साथ !न जाने वह कैसे आ गई थी ?जब अचानक कार उसके निर्देशित स्थान पर रुकी तब वह चौंकी उतरकर उसने वहाँ की रज उठाई और अपने माथे पर लगा ली | यह उसकी जन्मभूमि थी |  स्वाभाविक था, घर बंद पड़ा था –पड़ौस की चौबे पंडताइन उसे पहचानकर फूट-फूटकर रोने लगीं | काफ़ी