महाकवि भवभूति की उज्जवल काव्य कीर्ति के आधार स्तंभ के रूप में केवल उनकी 3 नाट्य कृतियां ही प्राप्त होती है। इतनी महान प्रतिभा का धनी कवि, केवल तीन नाटकों का प्रणयन करें यह साहित्यिक आश्चर्य का विषय भले ही हो,परंतु इन 3 कृतियों में अपनी काव्यानुभूति की संपूर्ण गहराई ,प्रतिभा की समग्र ऊर्जस्विता प्रदान कर महाकवि भवभूति ने संस्कृत साहित्य में जिस नवीन क्रांति का सूत्रपात किया ,--वह संस्कृत वांग्मय की अमूल्य व अक्षय निधि है। महावीर चरितम्` मालती माधवम् एवं उत्तररामचरितम् ---यह तीऐनों ही कृतियां उनकी जीवन भर की कठिन काव्य साधना की प्रतीक हैं एवं संस्कृत नाटय