दानी की कहानी --------------- शायद --नहीं शायद नहीं , अवश्य ही यह हर हर समय होता है ,होता रहा है ,होता रहेगा कुछ सत्य शाश्वत होते हैं जैसे सूरज का ,चाँद का निकलना,जैसे स्नेह का पनपना ,माँ की चिंता --- दानी इन्हीं बातों को लेकर कुछ न कुछ सुनाती ,सिखाती रहीं अब कौन कितना सीख पाया ,यह तो कुछ पता नहीं लेकिन यह स्वाभाविक है कि जीवन में कई स्थितियाँ ऐसी होती हैं जिनमें कठिनाई के बावजूद भी हमें संभलकर आगे चलना होता है बच्चे दानी से कई बार कहते --- दानी ! आप हमें कितना सिखाती,समझाती