भाग 16 इस बार लॉयेना से विदा लेते हुए कैथरीन का मन भारी था। लॉयेना भी उदास थी। कैथरीन जानती है लॉयेना में बर्दाश्त का जज्बा उससे कम है। वह हर बात मन पर ले लेती है और फिर अवसाद से घिर जाती है। जिंदगी की हर बात हर घटना बर्दाश्त कर लेना नामुमकिन है। लेकिन अगर बर्दाश्त कर लिया तो रूह में फकीरी नजर आती है। जैसे नरोत्तम फकीर हो गया है। सूफी संत हो गया है। उसने ईश्वर में लौ लगा ली है। बाकी सब कुछ उसके लिए बेमानी है। कैथरीन थोड़ी व्यथित हो जाती है खासकर उन