अतीत के पन्ने - भाग १०

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काव्या ने हंस कर कहा जब तक तुम लोग आओगे तो बहुत देर हो जायेगी।बाबू भी मुझे गलत समझा, मुझे लगा था कि वो मुझे छोड़ कर नहीं जायेगा।कब सुबह हो गई पता नहीं चल पाया।छाया आकर बोली कि अरे काव्या दीदी चाय नहीं पिया ये तो ठंडा हो गया।काव्या ने कहा अब कुछ अच्छा नहीं लगता ये। जाकर चाय नाश्ता कर लो तुम।।छाया ने कहा हां बाबा हम तो करते हैं पर तुम तो खुद को मार रहीं हों।काव्या ने कहा हां अब किसके लिए जीना है मां तो चली गई और वो मुझे बुला रही है।क्या करूं, मरने