छोटे शिवाजी पहले से ही साहस,शौर्य से भरपूर थे। उनकी माता जीजा बाई बचपन से ही "महाभारत","रामायण" और "भगवत गीता" का ज्ञान देती थी। जिससे छोटे शिवाजी को छोटी उम्र से ही लीडरशिप के गुण आने लगे। इसके उपरांत दादोजी कोढेव उनको युद्ध के दाव सीखते थे। इसी शिक्षा के बदोलत शिवाजी उत्तम योद्धा बनने के लिए सज्ज थे। पिताजी बीजापुर सल्तनत के जागीरदार थे। सबको लगता था कि पुत्र भी इसी दिशा मे जाएगा किंतु शिवाजी महाराज को कुछ और ही मंजूर था। शिवाजी महाराज की सेना कम थी और दुर्गम इलाक़ों मे,जंगलों में छापेमार युद्ध ही