चाकू खटकेदार है अब-रामअवध विष्वकर्मा

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चाकू खटकेदार है अब हाथ में लेकर तो देखो रामगोपाल भावुक रामअवध विष्वकर्मा का व्यंग्य गजल संग्रह ‘चाकू खटकेदार है अब’पढ़ने के लिए हाथ में लेकर तो देखो, उसके पृष्ठ खोलते ही खट की आवाज ‘मेहमान भी लटकते है’ं पर प्रतिक्रिया देते हुए चर्चित साहित्यकार महेष अनध की सुनाई देती है। खुरदरी, कुछ मखमली हैं आपकी गजलें। बहुत बहुतों से भलीं हैं आपकी गजलें।। और इस गजल का अन्तिम पायदान पर