अतीत के पन्ने - भाग ९

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मेरी अवस्था अब अच्छी नहीं है और अब आगे।।फिर डायरी को बन्द कर दिया और फिर छत पर चली गई अपने आलेख को याद करने लगी।छाया ने कहा दीदी ये सारे पापड़ तो सुख गए हैं। काव्या ने कहा हां पर आलेख को बहुत पसंद हैं। एक काम करो सब पैकिंग करवा कर कोरियर कर देना।छाया ने कहा हां दीदी ठीक है कल ही कर देती हुं।पर दीदी ये तो आपको भी पसंद था ना।। काव्या ने कहा हां पसंद था पर अब बिल्कुल पसंद नहीं है और इस तरह जीने का क्या मतलब है बोल। छाया ने कहा देखो