गुलाबी लिफाफा

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आज समीर की शादी की पच्चीसवीं सालहिरह थी। शाम में सब दोस्त और परिवारजन आने वाले थे। वह मंदिर सुबह ही जाकर लौट आया था। उसकी पत्नी बच्चों को लेकर बाजार निकल गई थी। एक कप काफी लेकर वह आराम से छत पर लगे झूले में आकर बैठ गया और याद करने लगा कि जब उसका विवाह हुआ था। तब उस समय आज की तरह मोबाइल फोन नहीं हुआ करते थे कि जब मन चाहा बात हो गई या मैसेज भेज दिया। सिर्फ लैंडलाइन फोन हुआ करते थे। अचानक ही वह यादों के समंदर में खो गया उसे याद आने