कथा –बिंब (जुलाई-दिसंबर 2021) त्रैमासिक पत्रिका में डॉ. प्रणव भारती का साक्षात्कार ---------------------------- मधु प्रसाद -- नमस्कार दी ! आपसे पहली भेंट ही मन पर गहरी छाप छोड़ गई थी आपकी सरलता और तरलता ने मेरा आपसे गठजोड़ कर दिया वर्षों से आपके साथ कई मंच सांझा करने का भी सुयोग मिलता रहा आपने बहुत लंबा सफ़र तय किया है ज़ाहिर है, सफ़र आसान तो नहीं रहा होगा न जीवन जीने का, न ही साहित्य का ! मैं चाहूंगी पहले आपके साथ चलूँ --गुड़िया खेलती, घरौंदे बनाती, झूले झूलती प्रणव का बचपन, माता-पिता, परिवार में