माता कुमाता न भवति

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“पापा जल्दी बाहर आओ” छोटी पुत्री क्षिप्रा की पुकार सुनकर किसी अनिष्ट की आशंका से चिंतित गोपाल तेजी से घर के मुख्यद्वार पर पहुँचा. देखा तो उसकी दोनों पुत्रियाँ एक अपरिचित वृद्ध महिला को सहारा देकर कार से उतार रही थी. वृद्ध महिला घायल थी और अर्धमूर्छित अवस्था में कराह रही थी. सिर से कुछ रक्तस्राव हुआ था. गोपाल के पूछने पर उसकी पुत्रियों ने बताया कि घर से 200 गज की दूरी पर मकानों के बीच में एक झोंपड़ी है, जो एक खाली प्लॉट पर बनी है. उसी के सामने वाली सड़क पर यह माता जी गिरी हुई थी.