बाला

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बालाबाला का दिल बहुत जोर से धड़़क रहा था। अविरल उसकी प्रतीक्षारत था। उसे बहुत कोफत हो रही थी। अपनी बुजदिली पर मगर वह विवष थी। एक सप्ताह बाद उसकी बारात आनी थी। उसने अविरल से वादा किया था, कि वह सब कुछ छोड़कर उससे विवाह कर दूर चली जाएगी। मगर दिल बैचेन था। अपनी पंरपराओं के चलते वह हिम्मत नहीं जुटा पा रही थी। उसके घर में एक बड़ी शादी योग्य क्वांरी बहन शैला, एक भाई अंबर और विधवा मां सगुनीदेवी थीं। जब वह छोटी थी तभी उसके बाबूजी का देहांत हो गया था।सब कुछ किसी चलचित्र सा प्रतीत