धर्मयुद्ध- पवन जैन

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70-80 के दशक की अगर बॉलीवुड की फिल्मों पर नज़र दौड़ाएँ तो हम पाते हैं कि उनमें जहाँ एक तरफ़ मंदिर की सीढ़ियों पर अनाथ बच्चे का मिलना, प्रेम..त्याग..ममता..धोखे..छल प्रपंच..बलात्कार इत्यादि के दृश्यों के साथ थोड़ा बहुत बोल्डनेस का तड़का लगा होता था। ऐसी मसाला टाइप कहानियों के एक ज़रूरी अव्यय के रूप में इनमें कुछ सफेदपोश टाइप के लाला..सेठ या नेता टाइप के लोग भी बतौर खलनायक होते थे जिनका बाहरी चेहरा एक भलेमानस..दयालु, कृपालु टाइप का दान पुण्य इत्यादि में विश्वास रखने वाला होता था जबकि भीतर से वो एकदम कलुषित विचारों और मन वाले पूरे खलनायक होते