कैथरीन और नागा साधुओं की रहस्यमयी दुनिया - 12

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भाग 12 नरोत्तम गिरी एक वर्ष तक कन्दराओं में रहा। खुद को परिष्कृत कर मन को बांधा। मोबाइल फोन स्विच ऑफ करके रख दिया। वैसे भी इन पर्वतीय इलाकों में नेटवर्क नहीं पकड़ता। मोबाइल पोटली में समा गया। हालाँकि दिन भर में न जाने कितनी बार वह पोटली पर नज़र डाल लेता जैसे कि कोई संदेश बाहर आने वाला है। पोटली देखना उसकी आदत में शुमार हो गया था। वह चाह कर भी पोटली कहीं छुपा नहीं सकता था और पोटली उसके कार्यों में व्यवधान भी पैदा करती थी। पोटली या कैथरीन!! कंदराओं से निकलकर वह हरी-भरी पहाड़ी ढलान में