कैथरीन और नागा साधुओं की रहस्यमयी दुनिया - 6

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भाग 6 दिन भर कैथरीन भोजबासा के जंगलों में भटकती रही। सभी वृक्ष भोजपत्र के....... ओह यह तो बर्च है। वह पहचानती है इन्हें। उसके देश में भी भोजपत्र के वृक्ष हैं। वह एक वृक्ष के तने के पास गई। जिसमें से कागज की रीम की तरह छाल निकल रही थी। पतली, भूरी और सफेद। तो यही है भोजपत्र। जिस पर भारत के ऋषि मुनि ग्रंथों, पुराणों की रचना करते थे। इस पर लिखी पांडुलिपियाँ उसने भारत के कुछ पुस्तकालयों में देखी हैं।  वृषभानु पंडित ने भी उसे इसी तरह की पांडुलिपि दिखाई थी। जब वह उनसे संस्कृत सीख रही