अन्धे शीशों वाली दीवारें ! गहरा यह सन्नाटा ! अजनबी यह बिस्तर ! मेरे हाथ-पैर इतने भारी क्यों हैं ? ’’कोई है ?’’ मैं पूछता हूँ । ’’मुझे पहचान रहे हैं ?’’ नर्स की पोशाक में एक स्त्री ऊपर झुकती है, ’’आपके साथ अपनी दो ड्यूटी बितायी हैं मैंने...’’ ’’ड्यूटी ?’’ मैं हैरान हूँ । ’’आप एक अस्पताल में दाखि़ल हैं और मैं यहाँ एक नर्स हूँ ।’’ उसकी उम्र पच्चीस और तीस के बीच है । नव-यौवना के संकोच से मुक्त । अधेड़ावस्था के अक्खड़पन से दूर । उसका चेहरा आरोग्यता और कमनीयता टपका रहा है । उसके हाथ