अतीत के पन्ने - भाग ८

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काव्या को अब एक बात सच लगने लगा कि बाबू अब कभी नहीं आएगा। फिर एकाएक उसे लगा कि अब बस बहुत हुआ अपनी दिल का दर्द अब और छुपाए नहीं जाता।काव्या ने एक डायरी निकाल कर लिखने लगीं। क्या लिखूं कहा से शुरू करूं। कहने को तो मेरी तीन बहनें हैं पर कोई भी मेरा साथ नही दे सकता। रेखा दीदी को हमेशा से लगा कि मैंने उनका सब कुछ छिन लिया पर आज मैं सबकी गलतफहमी मिटा देना चाहतीं हुं। रेखा दीदी जब तक आप ये डायरी पढ़ेंगी तो बहुत देर हो चुकी हो गई।शायद मैं कभी भी ये