उजाले की ओर --संस्मरण

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उजाले की ओर --संस्मरण --------------------------- मित्रों को बसंत की स्नेहिल शुभकामनाएँ ------------------------------------ बसंत ऋतु आई ,मन भाई फूल रहीं फुलवारियाँ टेसू फूले ,अंबुआ मौले ,चंपा,चमेली सरसों फूले फूट रही कचनारियाँ---- भँवरे की गुंजन मन भाए ,ऋतु बासन्ती मन हर्षाए आओ सब मिल शीष नवा लें,स्वर की साधना कर हर्षा लें पुष्पित हैं अमराइयाँ ---- (माँ) स्व.दयावती शास्त्री माँ मन में हैं ,वो ही मार्ग-दर्शन करती हैं| आँसुओं की लड़ी को अनदेखे ही अपने आँचल में छिपा मुख पर मुस्कान बिखरा देती हैं | माँ को विशेष रूप से मैं शायद ही कभी याद कर पाती हूँ