अध्याय 13 अक्षय उस मध्यरात्रि कार को 100 किलोमीटर की स्पीड से चला रहा था, डॉक्टर उत्तम रामन परेशान चेहरे से माथे पर पसीने के साथ दोनों हाथ बांधे बैठे हुए थे। "अक्षय.... इस रात के समय हमें पड़पई के घर जाना ही है क्या...? कल सुबह भी जा सकते थे ना?" "सॉरी अंकल.... मुझे उस यामिनी को तुरंत देखने की इच्छा है। फार्म हाउस के सुरंग जैसी कमरे में वह एक कागज के कचरे जैसे मसल कर फेंकी पड़ी होगी उसे मुझे देखना है.... तभी मुझे और मेरे मन को एक तसल्ली मिलेगी...¡" "फिर भी इस समय स्थिति ठीक