स्त्री चेतना की साहसिक कहानियां

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स्त्री चेतना की साहसिक कहानियां कलावंती, राँची नीलम कुलश्रेष्ठ के तृतीय कहानी संग्रह की 'चाँद आज भी बहूत दूर है 'में, स्त्री के मन की जाने अनजाने परतों को बहुत ही संवेदनशीलता से छूआ है नीलम जी ने। चाहे वे घर परिवार की महिलाएं हों या बाहर नौकरी पर जाने वाली कामकाजी स्त्रियाँ- उनके सुख दुख उनके संघर्ष। उनकी नायिकाएँ अपने जीवन की स्थितियों से दुखी जरूर हैं पर वे इसे अपना भाग्य मानकर चुप नहीं बैठ जातीं । वे प्रतिकार की हिम्मत जुटाती हैं और सामनेवाले को चुनौती देती हैं। अपनी नियति को बदलने का हर संभव उपाय करती