मोहल्ला-ए-गुफ़्तगू - 5

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5.मोहल्ला-ए-गुफ़्तगूमैंने बिना मां बाबा को बताए नमिता के भाई के बच्चें के एडमिशन के लिए दो लाख रूपये दें दिए थे..नमिता इस बात से वेहद खुश थी पर ये सब मिझे ठीक नहीं लग रहा था क्या मैंने गलत किया था या सही क्योंकि नमिता के घर वालों का हमारी ज़िन्दगी में कुछ ज़रूरत से ज्यादा ही होने लगा था जिसके चलते नमिता मेरे हर काम पर नज़र रखने लगी थी.. इन्ही सब के चलते मैं अपने नए प्रोजेक्ट के लिए अभी तक कोई नया कॉन्सेप्ट भी डिसाइड भी नहीं कर पाया था.. क्योंकि महीने में नमिता के तीन चार