और उन्हें शादी न करने के फैसले पर पुनः विचार करना पड़ा।रोज कौन बेटी को रखता।उन्होंने अपने पंडित से कहा'बेटी की देखभाल के लिए कोई नही है।""आप शादी कर लो"।"आप कोई लड़की तलाशे जो बेटी की देखभाल भी कर सके""मेरी नज़र में है।""कौन है?""मेरे जजमान है दिनेशजी।उनके चार बेटी है। बड़ी बेटी शादी लायक है।आर्थिज सिथति सही नही है।देने लेने को कुछ नही है।""मुझे पैसा नही बेटी के लिए मां चाहिए""तो मैं बात चलता हूँ।"और पंडितजी ने बात चलायी।दिनेश के चार चार बेटी थी।कहां से लाएंगे दहेज।और वह माया की शादी राम प्रसाद से करने को तैयार हो गये।दूजे है