अतीत के पन्ने - भाग ७

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काव्या ने कहा हां सब कोई चले जाओ मुझे छोड़ कर रह लूंगी मैं अकेली।मुझे अब आदत हो गई है। अब कोई जीने की चाह नहीं रही देखा मां बाबू भी चला गया आखिर मुझे छोड़ कर। तुम तो कहती थी ना कि बाबू कभी ना जाएगा। ये बोल कर काव्या जोर जोर से हंसने लगी अब आगे।।दूसरे दिन सुबह राधा काव्या का पैर छुए और फिर बोली दीदी कोई नहीं रहा मैं भी एक लाचार औरत की तरह जा रही हुं तुम कैसे रहोगी इतनी बड़ी हवेली में। अच्छा मैं चलती हूं। काव्या ने कहा हां ठीक है जब