कजरी - भाग १

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कजरी झोपड़पट्टी में रहने वाली बहुत ही मासूम, सुंदर-सी कमसिन एक बंजारन थी। बचपन से अब वह नाता तोड़ कर जवानी से रिश्ता जोड़ रही थी। पन्द्रहवाँ साल पूरा होने ही वाला था। उसके बाद नारी के यौवन का सबसे सुंदर साल सोलहवाँ साल जिसे अंग्रेज़ी में स्वीट सिक्सटीन कहा जाता है बस वही लगने वाला था। आठवीं मंज़िल पर तीन बेडरूम का एक सुंदर-सा फ़्लैट था। जहाँ कजरी की माँ पारो वर्षों से काम करने जाया करती थी। कजरी भी अपनी माँ का हाथ बटाने वहाँ आती रहती थी। पारो अपना घर चलाने वाली अकेली महिला थी। उसके सर