स्त्री’ का ‘प्रकृति’ होना राहुल शर्मास्त्री और प्रकृति एक दूसरे के पूरक है। इनका सामंजस्य ठीक वैसा ही है जैसा ‘पुस्तक ‘और ‘लेखक’ का, ‘कैनवास’ और ‘चित्रकार’ का । एक लेखक या चित्रकार कल्पनाशीलता के माध्यम से यथार्थ को उभारता है। एक ऐसा ही अनुभव रंजना जायसवाल के कविता संग्रह ‘स्त्री है प्रकृति’ को पढने के दौरान होता है। चौरासी कविताओं से सुसज्जित यह