दर-परत-दर स्त्रीः वैदिक युग से वर्तमान तक पूर्णिमा मित्र, बीकानेर स्त्री-विमर्श जैसे विवादास्पद व दुसह विषय की, जिन लेखिकाओं ने आम पाठकों तक पहुँचाने का चुनौतीपूर्ण कार्य किया है, नीलम कुलश्रेष्ठ भी उनमें से एक हैं । अपनी पठनीयता व समृद्ध सृजनशीलता के कारण नीलम की नवीनतम कृति ‘परत-दर-परत स्त्री’ खास-ओ-आम पाठक को अपने साथ वहाँ ले जाती है । इस संग्रह में नीलम के द्वारा रचित साक्षात्कार, रिपोर्ताज व लेखों को, 22 अध्यायों में समेटा गया है । नीलम का स्त्रीविमर्श का आधार पश्चिमी स्त्रीवादियों का अध्यातित चिंतन न होकर, उनके समाजशास्त्रीय शोध व सक्रिय समाजसेवा के अनुभवों पर आधारित हैं