मोहल्ला-ए-गुफ़्तगू - 3

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3- मोहल्ला-ए-गुफ़्तगू (3)आज पूरे तीन माहीने हो चुके थे कॉलोनी की गतिविधियों की लिखित जानकारी देने के बाद भी कोई सुनवाई नहीं हुई थी.... मतलब साफ था इज्जत दारों को कॉलोनी के इस माहौल से कुछ लेना देना नहीं था एरोबिक का तमाशा वखूबी वरकरार था... आज फिर कोई घटनाक्रम हुआ था जानकारी हांसिल की तो बेहद चौकाने वाली बात सामने आई थी..धटना की मज़लूमियत पढ़ कर दिल बैठ सा गया था..अख़बार को मैंने एक तरफ तह कर के रख दिया था..और फिर से मेरा मन मजलूमियत के दृश्यों में डूबने लगा था... जो खबर अखबार में छपी थी उसके