तेरे मेरे दरमियां यह रिश्ता अंजाना - (भाग -16) - सार्थक का संदेश

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अस्मिता का घर -- घनश्याम जी बैठे हुक्का गुडगूड़ा रहें थे तभी उनके घर का दरवाजा खुला और 5 -6 बॉडीगार्डस के साथ रामू अंदर आया। घनश्याम जी उनको देख कर ही खड़े हो गये और जल्दी से सर झुका कर उसको सलाम किया। घनश्याम जी -" मालिक आप ईहां कौनौ काम था का हमको बताते हम ही छुपते छुपाते आपके पास आ जाते।" रामू -" काका देखीये हमारे पास ज्यादा समय नही है और यहां हम ठकुराइन साहिबा और सार्थक बाबा का संदेश लायें हैं। घनश्याम जी -" कुछ हुआ है का।" रामू गम्भीर होकर -" साहिबा आज भान