उजाले की ओर---संस्मरण

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उजाले की ओर --संस्मरण -------------------------- नमस्कार स्नेही मित्रों ज़िंदगी झौंका हवा का प्यार का संगीत है ज़िंदगी खुशियों की महफ़िल,गा सकें तो गीत है | हर रोज़ बदलती हुई ज़िंदगी को किस कोण से देखा जाए ,यह तय नहीं किया जा सकता | हर रोज़ ही क्या ,हर पल ही बदलाव होता है ज़िंदगी में ! क्या कभी हममें से ही कुछ मित्र महसूस नहीं करते कि ज़िंदगी एक दौड़ है ,एक ऐसी दौड़ जिसमें हम सब ही आगे निकलना चाहते हैं | जो पीछे रह गया ,वो गया काम से !