उत्‍सुक सतसई - 4 - नरेन्‍द्र उत्‍सुक

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उत्‍सुक सतसई 4 (काव्य संकलन) नरेन्‍द्र उत्‍सुक सम्‍पादकीय नरेन्‍द्र उत्‍सुक जी के दोहों में सभी भाव समाहित हैं लेकिन अर्चना के दोहे अधिक प्रभावी हैं। नरेन्‍द्र उत्‍सुक जी द्वारा रचित हजारों दोहे उपलब्‍ध है लेकिन पाठकों के समक्ष मात्र लगभग सात सौ दोहे ही प्रस्‍तुत कर रहे हैं। जो आपके चित्‍त को भी प्रभावित करेंगे इन्‍हीं आशाओं के साथ सादर। दिनांक.14-9-21 रामगोपाल भावुक वेदराम प्रजापति ‘मनमस्‍त’ सम्‍पादक समर्पण परम पूज्‍य परम हंस मस्‍तराम श्री गौरीशंकर बाबा के श्री चरणों में सादर। नरेन्‍द्र उत्‍सुक थरथर कांपी यह धरा, धरा शायी लखशेष। लाये द्रोणागिरि उठा, चकित रहो