तुम यौवन की अग्निशिखा हो, तुम हो लपटों की पटरानी

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डॉ. ऋषभदेव शर्मा, हैदराबाद जीवन की तनी डोरः ये स्त्रियाँ (ले. नीलम कुलश्रेष्ठ)-- ये कृति समाज में स्त्री की दशा के संबंध में सर्वेक्षणों और स्त्री-उत्थान से जुड़ी संस्थाओं से प्रत्यक्ष संलग्नता के अनुभवों पर आधारित है । भगवती चरण वर्मा के लिये स्त्री ‘छवि की परिणीता’ के साथ ही ‘भयभीता’ भी है- ‘तुम मृग नयनी, तुम पिक बयनी तुम छवि की परिणीता सी । अपनी बेसुध मादकता में भूली सी, भयभीत सी ।’ जबकि रामेश्वर शुक्ल अंचल के लिए स्त्री ‘झंकारमयी पाषाणी’ है – ‘तुम यौवन की यज्ञ शिखा हो तुम हो लपटों की पटरानी । अर्पण की प्रतिमूर्ति