इन सबके बीच मैं निर्मोही उस नन्ही सी जान को तो भूल ही गई और जब ख्याल आया तब उसकी हालत देखकर मैं बुरी तरह से काँप उठी।उसका बदन बुखार के कारण एकदम आग की तरह तप रहा था और वो बिल्कुल गुमसुम सा लेटा हुआ था,न बोलता था और न ही आँखें ही खोलता था।मैनें आननफानन में उसे गोद में उठाया और उसे लेकर दौड़ती हुई सीधे अस्पताल पहुँच गई जहाँ रात का समय होने के कारण डॉक्टर की उपलब्धता के नाम पर मुझे बस इमरजेंसी-स्टाफ ही मिला और तभी पूजा का फोन बज उठा जो कि एयरपोर्ट पहुँचकर