कहानियाँ रचती रही, यात्रा भी चलती रही

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डॉ. दयाशंकर त्रिपाठी ‘गंगटोक का एक भीगा-भीगा दिन’ नीलम कुलश्रेष्ठ का चौथा चर्चित कहानी संग्रह है । इसमें कुल नौ कहानियाँ शामिल हैं । एक कहानी तो वही है जिस पर कहानी संग्रह का नाम है । इस संग्रह की शेष आठ कहानियों में 'अतुलनीय भारत', 'छींटो के अक्स', 'आम औरत की आम डब्बे में यात्रा', 'रेसक्यू',  'युग्म', 'सफेद पत्थरों में अटकी जान....रन के बाछड़ा दादा', 'जन्नत की मुस्कान फ़क्त सात लाख रूपये',' पूनापलट 'के नाम शुमार हैं । वैसे तो इस संग्रह की ज्यादातर कहानियाँ पहले ही कई छोटी-बड़ी पत्रिकाओं –हंस', 'ज्ञानोदय,' सरिता', 'पाखी', 'लोकगंगा' आदि-में प्रकाशित होकर एक