में और मेरे अहसास - 47

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  आरज़ू मेरी इस तरह मुकम्मल हुईं l याद उनकी दीदार ए यार दे गईं ll     ***********************   हर लम्हा हर पल हर वक्त मैं ग़ज़ल लिखता हूँ l हिमाकत तो देख इबादत मैं ग़ज़ल लिखता हूँ ll   मौसम की तरह बदलते देखा है हसीनो को l बेवफा ओ की मुहब्बत मैं ग़ज़ल लिखता हूँ ll     ***********************   दुनियावाले क्या कहेगे परवाह नहीं l अब किसी के डर से मोड़ेगे राह नहीं ll   बस एक बार दीदार ए यार हो जाए l दिल मे इस के सिवाय कोई चाह नहीं ll   अजनबी जहाँ